पुरुषत्व

मैं बुजदिल था जो अपनी दिल की बात कह न सका,

मैं पुरुष था इसलिए सबके सामने तो छोड़ो, अकेले में भी रो न सका।

या तो मैं पुरुष हो सकता हूं या रो सकता हूं, दोनो एक साथ नहीं।

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