सपने में तुम
तुम कल रात फिर मेरे सपने में आए,
और सपने में भी तुम मुझे छोड़ गए।
तुमने नज़रे यूं फेरी जैसे कोई अंजान हूं मैं,
और फिर से मेरा कांच का दिल तोड़ गए।
तुम आज भी वैसे ही दिखते हो,
भले अब देखे तुम्हे जमाने हुए।
तुम्हारे लिए प्यार और भी बढ़ गया,
जब से हम तुम्हारे लिए बैगाने हुए।
चाहा मैने फिर से तुम्हारे कंधो पर बाजू रखना,
तुम फिर से मेरी बाजू मरोड़ गए।
तुम कल रात फिर मेरे सपने में आए,
और सपने में भी तुम मुझे छोड़ गए।
तुम चढ़ी बस में, मैं भागा पीछे,
मैं चिल्लाया कि शायद तुम उतरो नीचे।
मैने चाहा कि बैठे फिर से किसी बगीचे,
और फिर से साथ में अपने सपने सींचे।
चाहा मैने फिर से जान निछावर करना,
लेकिन फिर तुम मुझसे मुंह मोड़ गए।
तुम कल रात फिर मेरे सपने में आए,
और सपने में भी तुम मुझे छोड़ गए।
सोचा की चाय पर कहीं बतियाएंगे,
तुम अपनी कहना हम अपनी सुनाएंगे।
बचकानी बातों पर पागलों से हसेंगे,
और प्यार की बातों पर शर्माएंगे।
चाहा मैंने कि हम हमेशा साथ रहेंगे ,
लेकिन सपना खुलने से पहले ही तुम सपना तोड़ गए।
तुम कल रात फिर मेरे सपने में आए,
और सपने में भी तुम मुझे छोड़ गए।
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